कूचबिहार। काली पूजा की रात कूचबिहार जिला पुलिस अधीक्षक निवास के सामने हाफ पैंट और सैंडो गंजी पहने ही एसपी द्युतिमान भट्टाचार्य द्वारा स्थानीय नाबालिग लडक़ों एवं महिलाओं की पिटाई की घटना ने राजनीतिक रंग ले लिया है। भाजपा विधायक एवं विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने जहां अपने एञ्चस हैंडल पर इस घटना से जुड़ा वीडियो शेयर किया है, वहीं उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा ने इसे लेकर भाजपा नेता को आड़े हाथों लिया है।
दूसरी ओर, उक्त घटना के विरोध में मंगलवार को सडक़ अवरोध कर प्रदर्शन कर रहे लोगों लाठीचार्ज कर पुलिस ने तीन महिलाओं समेत 10 लोगों को हिरासत में लिया था। आज उन सभी को कूचबिहार अदालत में पेश करने पर न्यायाधीश ने तीन महिलाओं को तो जमानत दे दी, लेकिन दो को जेल और पांच लोगों को पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
इस बीच, सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर आम जनता से लेकर राजनीतिक कार्यकर्ताओं तक में प्रतिक्रियाओं की बाढ़ सी आ गई है। एक ओर, पुलिस अधीक्षक द्वारा लोगों को बांस से पीटने का सीसीटीवी फुटेज विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट किया है। वहीं, उत्तर बंगाल विकास मंत्री उदयन गुहा ने इस घटना को लेकर विपक्षी दल पर निशाना साधा है। हालांकि उन्होंने कहा कि पुलिस अधीक्षक हत्यारा नहीं है, लेकिन लोगों में अच्छे और बुरे दोनों गुण होते हैं।
इस घटना के मद्देनजर कूचबिहार जिला भाजपा द्वारा आज कोतवाली थाने के सामने विरोध-प्रदर्शन किया गया, जिसमें शामिल भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। इस अवसर पर कूचबिहार दक्षिण से भाजपा विधायक निखिल रंजन दे ने कहा कि काली पूजा की रात हुई घटना वास्तव में अस्वीकार्य है। जिस तरह से कूचबिहार के पुलिस अधीक्षक ने हाफ पैंट और सैंडो गंजी पहने और सिर पर कपड़ा बांधे इलाके के बच्चों और महिलाओं को अंधाधुंध तरीके से पीटा, हम उसका कड़ा विरोध करते हैं। उन्होंने आरोपी पुलिस अधीक्षक का तुरंत तबादला करने गिरक्रतार सभी लोगों को बिना शर्त रिहा किये जाने की मांग की। वहीं, पत्रकारों द्वारा आरोपी एसपी के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई के संबंध में पूछे गये सवाल पर निखिल दे ने कहा, पुलिस अधीक्षक से भी ऊपर हाई कोर्ट है। अगर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की जाती है, तो कूचबिहार के पुलिस अधीक्षक को भी बार-बार अदालत जाना पड़ेगा। ममता बनर्जी या अभिषेक बनर्जी उनकी रक्षा नहीं कर पाएंगे।
गौरतलब है कि, काली पूजा की रात की घटना में घायल हुईं इलाके की वकील मल्लिका कारजी ने मामले को लेकर हाई कोर्ट में मामला दायर करने की बात कही है। घटना के बाद, उन्हें भी गिरक्रतार किया गया था। वहीं, कल की घटना के बाद कूचबिहार पुलिस की ओर से पत्रकारों को कई सीसीटीवी फुटेज देकर अपना पक्ष रखने की कोशिश की गई है। हालांकि, आरोपी पुलिस अधीक्षक ने मारपीट की घटना से ही इनकार किया है। सवाल उठता है कि पुलिस दूसरे मामलों में इतनी सक्रिय क्यों नहीं है? सवाल यह भी है कि क्या कोई कानून का रखवाला इस तरह की हरकत कर सकता है? क्या इसका कोई जवाब मिलेगा?



