नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बार फिर बम की धमकी वाले ईमेल मिले हैं। इस बार चाणक्यपुरी स्थित जीसस एंड मैरी कॉलेज समेत लगभग 20 कॉलेजों को धमकी भरे ई-मेल भेजे गए हैं। दिल्ली फायर ब्रिगेड ने इसकी जानकारी दी। इस संबंध में अधिकारियों ने बताया कि यह ईमेल बुधवार को मिला था। जांच के बाद पता चला कि यह धमकी फर्जी (झूठी) थी। शुरुआती जांच में ये भी सामने आया है कि ईमेल भेजने वाले ने अपनी पहचान छिपाने के लिए वीपीएन का इस्तेमाल किया होगा। यह घटना ऐसे समय पर सामने आई है जब हाल ही में दिल्ली के कई स्कूलों को भी इसी तरह की झूठी धमकियां मिल चुकी हैं। पिछले हफ्ते, दिल्ली के 100 से ज्यादा स्कूलों को 5 दिनों में बम की धमकियां दी गई थीं, लेकिन सभी बाद में फर्जी निकलीं।
21 अगस्त को भी दिल्ली के कई स्कूलों को बम की धमकी मिली थी। इसके चलते द्वारका सेक्टर ५ और प्रसाद नगर सहित 6 स्कूलों को खाली कराना पड़ा और सुरक्षा जांच की गई। दिल्ली पुलिस, फायर ब्रिगेड, बम निरोधक दस्ते और डॉग स्क्वॉड की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। हालांकि किसी भी जगह से कोई संदिग्ध चीज़ नहीं मिली, फिर भी पूरे दिन तलाशी अभियान चलता रहा। अधिकारियों का कहना है कि ईमेल भेजने वाले के आईपी एड्रेस का पता लगाने के लिए जांच जारी है। 18 अगस्त को दिल्ली के द्वारका स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) को बम की धमकी मिली थी। इस कारण आपातकालीन टीमें तुरंत सक्रिय हुईं, लेकिन बाद में यह धमकी भी झूठी निकली। पिछले महीने, दिल्ली के 50 से ज्यादा स्कूलों को धमकी भरे ईमेल मिले थे, जिसके कारण कई स्कूलों को ऑनलाइन क्लासेस में बदलना पड़ा।
इन धमकियों के बाद पूरे शहर में बम निरोधक दस्ते, दमकल गाड़ियां, और पुलिस टीमें तैनात करनी पड़ीं। इससे पहले भी कई नामी स्कूल और कॉलेज निशाना बनाए जा चुके हैं, जैसे रोहिणी का अभिनव पब्लिक स्कूल, पश्चिम विहार का रिचमंड ग्लोबल स्कूल, और द्वारका का सेंट स्टीफंस कॉलेज और सेंट थॉमस स्कूल। 17 जुलाई को भी ऐसी धमकियों से करीब 7 स्कूलों को खाली कराना पड़ा था। इन बार-बार होने वाली घटनाओं ने छात्रों, अभिभावकों और शैक्षणिक संस्थानों में गंभीर चिंता बढ़ा दी है। हालांकि अब तक सभी धमकियां फर्जी साबित हुई हैं, लेकिन इनकी बारंबारता (बार-बार होने की वजह से) लोगों की चिंता बढ़ गई है। मई में दिल्ली के 200 से ज्यादा स्कूलों, कॉलेजों, अस्पतालों, यहां तक कि इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को भी ऐसी ही धमकियां मिली थीं। कई मामलों की अब भी जांच जारी है, खासकर वे, जिनमें विदेशी वीपीएन का इस्तेमाल किया गया था।