मालदा। हरिश्चंद्रपुर ब्लॉक के रशीदाबाद ग्राम पंचायत क्षेत्र के बिरुआ और काठगढ़ गाँव में बुधवार को भारी तनाव फैल गया। दो सौ से अधिक गरीब परिवारों की सरकार द्वारा दी गई पट्टा भूमि पर कथित रूप से भू-माफियाओं के कब्जे के विरुद्ध ग्रामीण संगठित होकर उतर पड़े। उन्होंने लाठी-डंडों से जमीन पर लगी टिन की बाड़ और बाँस-खंभे उखाड़ फेंके। ग्रामीणों का आरोप है कि उन्हें कई वर्ष पहले सरकार से खेती-बाड़ी और आवास के लिए पट्टा जमीन मिली थी। लेकिन रसूखदार तीन भू-माफिया गुमेद इकबाल, जलाउद्दीन इकबाल और असदुल इकबाल ने ज़बरन उस जमीन पर कब्ज़ा कर लिया। आरोप है कि उन्होंने पट्टा अपने नाम दर्ज कराकर रजिस्ट्री के जरिए जमीन बेच भी दी। करीब तीन सौ बीघा भूमि और दो सौ से अधिक परिवार इस विवाद की चपेट में हैं। ग्रामीणों ने कहा कि विरोध करने वालों को कई बार पीटा गया और धमकाया गया। आरोप है कि इन भू-माफिय़ाओं का सीधा संबंध तृणमूल कांग्रेस से है, और स्थानीय पंचायत सदस्य तक उनके सामने बेबस नजर आते हैं।
बुधवार को ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से बांस-बल्लों के साथ मोर्चा खोला और कब्ज़े वाली जमीन पर लगी बाड़ हटाकर अतिक्रमण मुक्त कराने की कोशिश की। इस दौरान झड़प भी हुई और माहौल तनावपूर्ण हो गया। तृणमूल के स्थानीय पंचायत सदस्य ने भी स्वीकार किया कि जमीन पर कब्जा हुआ है और उसे बेचने का खेल चल रहा है। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस-सीपीएम गठबंधन इस मुद्दे पर ग्रामीणों को उकसा रहा है। भूमि विभाग ने दोनों पक्षों की सुनवाई करने और मामले की विस्तृत जाँच का आश्वासन दिया है।
तृणमूल नेतृत्व ने आरोपों से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है और प्रशासन अपनी कार्रवाई करेगा। वहीं भाजपा ने तीखा हमला बोला। पार्टी नेताओं ने कहा, जब तक तृणमूल सत्ता में है, जनता को प्रताड़ना झेलनी ही पड़ेगी। चाहे कटमनी हो या जालसाजी, सब कुछ इसी सरकार के राज में हो रहा है। ‘माँ, माटी, मानुष’ अब केवल नारा बनकर रह गया है। एक ओर सरकार पट्टा बाँटने का दिखावा करती है, दूसरी ओर उसके लोग जमीन हड़पते हैं और गरीबों को पीटते हैं। इस प्रशासन से न्याय की उम्मीद करना व्यर्थ है।