Saturday, November 8, 2025
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शिक्षा के क्षेत्र में नहीं सहेंगे भेदभाव : राजू बिष्ट

 

  • सांसद ने उठाया पहाड़ी स्कूलों की अनदेखी का मुद्दा

दार्जिलिंग। दार्जिलिंग के सांसद एवं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजू बिष्ट ने संसद में पश्चिम बंगाल सरकार और जीटीए द्वारा पहाड़ी क्षेत्रों के स्कूलों के साथ किए जा रहे शैक्षिक भेदभाव का मुद्दा मजबूती से उठाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन दार्जिलिंग और कालिक्वपोंग के छात्रों को उनका समुचित लाभ नहीं मिल रहा है। यह समान शिक्षा के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।

सांसद बिष्ट ने बताया कि सरकार द्वारा किए गए कार्यों में एक नया स्कूल भवन का निर्माण और पांच स्कूलों की मरक्वमत, प्री-प्राइमरी से कक्षा 8 तक के छात्रों को पाठ्यपुस्तकों की आपूर्ति, 29 स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा का संचालन (सीएसएस-वीई योजना), 10,958 शिक्षकों का प्रशिक्षण, कक्षाओं को बिल्डिंग ऐज लर्निंग एड के तहत थीमैटिक रूप से सजाया गया, 187 विशेष जरूरतों वाले छात्रों को सहायक उपकरण एवं ब्रेल/बड़े अक्षर की पुस्तकें दी गईं, 593 विशेष छात्रों को परिवहन भत्ता, 600 छात्राओं को छात्रवृत्ति दी गई, आनंद परिसर के तहत शनिवार के अंतिम पीरियड में जीवन कौशल व हैकाथॉन जैसी सह-पाठ्यक्रम गतिविधियां, ग्रामीण पुस्तकालयों से स्कूलों को जोड़ा गया। शिशु संसद की स्थापना (कक्षा 5 से 10 के छात्रों के लिए), स्टूडेंट्स वीक में ग्रेजुएशन सेरेमनी का आयोजन, यूवाह के तहत डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से वित्तीय एवं डिजिटल साक्षरता का प्रशिक्षण शामिल हैं। सांसद ने सवाल करते हुए कहा कि जब केंद्र सरकार योजनाएं और धन दोनों देती है, तो फिर दार्जिलिंग और कालिक्वपोंग के छात्रों को बराबर सुविधा क्यों नहीं मिलती? क्या जीटीए प्रशासन विफल है या कोलकाता सरकार जानबूझकर पहाड़ों के हिस्से का फंड रोक रही है?

सांसद ने वित्तीय असमानता के चौंकाने वाले आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि दार्जिलिंग को 308.54 करोड़ रुपये में से केवल 131 करोड़ रुपये (42.75 प्रतिशत) खर्च हुए। कालिक्वपोंग को 251.95 करोड़ रुपये मिले, लेकिन सिर्फ 21.30 करोड़ (8.45 प्रतिशत) उपयोग हो सके।
जबकि सिलीगुड़ी को 262.69 करोड़ रुपये की जगह 461.80 करोड़ रुपये (175 प्रतिशत) खर्च हुए।
राजू बिष्ट ने कहा कि यह शुद्ध अन्याय है। जब पहाड़ी जिलों में स्कूल खस्ताहाल हैं, शिक्षक नहीं हैं, बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं तो पैसा कहां जा रहा है? उन्होंने जोर दिया कि अब उत्तर मांगा जाएगा और पहाड़ी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का उनका अधिकार दिलाया जाएगा।

 

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