Wednesday, August 27, 2025
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मोदी ने दिया अमेरिकी दबाव से निपटने का मंत्र

-डॉ. ओ.पी. त्रिपाठी
चिकित्सक एवं लेखक
दबाव कितना भी हो, हम झेलने की ताकत बढ़ाते जाएंगे-ये संकल्प प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 अगस्त को अहमदाबाद में करोड़ों देशवासियों के सामने दोहराया। गुजरात में हजारों करोड़ की विकास परियोजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास के अवसर पर आयोजित जनसभा में पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत, स्वदेशी उत्पादों के उपयोग, औद्योगिक प्रगति, और सामाजिक सुधारों पर खुलकर बात की।
अपने पूरे भाषण में पीएम मोदी ने आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद पर खड़े ‘विकसित भारत’ के सपने को बार-बार दोहराया। उन्होंने कहा कि 2047 में जब भारत आजादी के 100 साल मनाएगा, तब यह देश विकसित बन चुका होगा। भारत अब सिर्फ सपने नहीं देखता, उन्हें साकार करने का सामर्थ्य भी रखता है।
असल में प्रधानमंत्री मोदी ने दबाव की बात अमेरिका द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ थोपने के संदर्भ में कही। टैरिफ में जुर्माना भी शामिल है। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की रणनीति यह है कि यदि रूसी तेल के राजस्व को तोड़ दिया जाए, तो रूस को युद्ध समाप्त करने को विवश होना पड़ेगा। यह सोच ही कुंठित और अर्ध सत्य की है, क्योंकि रूस को अमेरिका से जो राजस्व मिल रहा है, क्या राष्ट्रपति पुतिन उसे तिजोरी में सजा कर रखेंगे? दरअसल अमेरिका को भारत एक ‘आसान निशाना’ लगता है, लेकिन भारत ने टैरिफ बढ़ाने के आदेश को गलत, अतार्किक और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि रूस के साथ तेल और हथियारों के व्यापार जारी रहेंगे, लेकिन अमरीका के साथ रणनीतिक साझेदारी पर कोई संकट नहीं मंडराएगा।
भारत की यह विनम्र नीति भी उचित नहीं है। अमेरिका ने चीन पर जब 145 फीसदी का टैरिफ घोषित किया था, तो चीन ने पलटवार में प्रतिक्रिया जताई थी, नतीजतन राष्ट्रपति ट्रंप की ‘हवा’ निकल गई थी। अंतत: उन्होंने टैरिफ 30 फीसदी तक लुढ़क दिया। यह भारत के साथ भी संभव है, यदि भारत कुछ कड़ा कदम उठाए और व्यापार समझौते को फिलहाल लटका दे। इन स्थितियों में द्विपक्षीय व्यापार समझौता संभव भी नहीं है।
अमेरिकी राष्ट्रपति फिलहाल बदहवासी मनोस्थिति में लगते हैं। यदि भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लागू कर दिया जाता है, तो भारत पर 3 लाख करोड़ रुपए का टैरिफ बढ़ेगा। हालांकि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर बहुत कम असर पड़ेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और प्रमुख आर्थिक एजेंसियों के आकलन हैं कि 2025-26 के दौरान भारत की आर्थिक विकास दर करीब 6.5 फीसदी रहेगी, जो विश्व में सर्वाधिक होगी।
भारत की तरफ से कपड़ा, ऑटो, समुद्री उत्पाद, हीरा, सोना, मशीनरी, इस्पात-एल्युमीनियम, सिले हुए कपड़े आदि क्षेत्रों में निर्यात अमेरिका को किया जाता रहा है। अमेरिका में 47 फीसदी जेनेरिक दवाएं भारत से जाती हैं। फिलहाल उन पर कोई टैरिफ नहीं है, लेकिन राष्ट्रपति ट्रम्प ने धमकी-सी दी है कि आने वाले एक-डेढ़ साल में दवाओं पर 150 फीसदी तक टैरिफ लगाया जाएगा। प्रभावित क्षेत्रों में करोड़ों लोग काम करते हैं। यदि इन उत्पादों का निर्यात प्रभावित होता है और अमेरिकी बाजार में भारतीय वस्तुएं महंगी मिलती हैं, तो एक नकारात्मक संदेश भी जाएगा। फिर भी भारत अडिग है कि वह 1.4 अरब लोगों के ही हित में काम करेगा। ट्रंप की कुंठाएं रूस तक ही सीमित हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ को बेअसर करने के लिए मोदी सरकार मिशन मोड में आ चुकी है। इस सिलसिले में आने वाले दिनों में कुछ बड़े आर्थिक फैसले लिए जाएंगे। सरकार ने अगले 100 दिन में लिए जाने वाले संभावित बड़े आर्थिक फैसलों पर काम करना शुरू कर दिया है। इन फैसलों में चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों को नरम करना, ई-कामर्स एक्सपोर्ट हब की शुरुआत, चमड़ा उद्योग के लिए पर्यावरण नियमों के में छूट, स्टार्टअप को टैक्स में और छूट, जीएसटी में सुधार, तंबाकू और फार्मा व्यापारियों रजिस्ट्रेशन नवीनीकरण की समय सीमा को बढ़ाना और तेजी से औद्योगिक मंजूरी के पोर्टल को अपडेट करना शामिल है। पीएमओ इस दिशा में नीति आयोग, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार और कैबिनेट की आर्थिक समिति के सदस्यों के साथ बैठक कर रहा है। उधर शेयर बाजार में भी लगातार हरियाली बरकरार है।
लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री मोदी ने डबल दिवाली तोहफे की घोषणा की है। इसके तहत जीएसटी की दरों को और तर्कसंगत बनाया जाएगा। जीएसटी में इस कटौती से कई चीजें सस्ती होंगी। अमेरिकी फाइनेंशियल कंपनी मॉर्गन स्टेनली का कहना है कि इस फैसले से भारत की आर्थिक विकास दर में 0.5 प्रतिशत से 0.7 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है। मॉर्गन स्टेनली का अनुमान है कि जीएसटी में इस सुधार से बाजार में करीब 2.40 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त मांग आएगी।
अमरीकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की और से भारत पर टैरिफ लगाने की घोषणा से जहां कुछ विदेशी निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली शुरू कर दी, वहीं खुदरा निवेशकों ने इन शेयरों को बड़े पैमाने पर खरीदा है। यानी टैरिफ का खुदरा निवेशकों पर कोई असर नहीं हुआ। वित्त वर्ष 2025-26 की जून तिमाही में 62 प्रतिशत कंपनियों में खुदरा निवेशकों ने अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई, जिनकी आय का बड़ा हिस्सा अमेरिका से आता है। मार्च तिमाही में यह संख्या सिर्फ 23 प्रतिशत थी। घरेलू क्वयूचुअल फंड्स में भी जून तिमाही में 77 प्रतिशत कंपनियों में हिस्सेदारी बढ़ाई।
जियोजीत इन्वेस्टमेंट्स के वीके विजयकुमार ने कहा, जीएसटी पर सरकार के नए रिफॉर्म्स के संकेतों ने मार्केट सेंटीमेंट तो सुधारे हैं, पर असली बदलाव तब होगा जब कंपनियों के प्रॉफिट में उछाल आएगा। लगातार और मजबूत रैली तभी संभव है जब अर्निंग्स का सुधार साफ दिखे। कंपनियों की कमाई त्योहार सीजन में बढ़ेगी। अमेरिकी ब्रोकिंग फर्म जेफरीज क्रिस्टोफर वुड ने कहा कि भारत पर ट्रंप की 50 प्रतिशत टैरिफ पॉलिसी को बेचने का कारण नहीं मानना चाहिए, बल्कि खरीदने का मौका समझना चाहिए। वे मानते हैं कि ट्रंप इस स्टैंड से पीछे हटेंगे।
इससे पहले भी अमेरिकी ट्रंप टैरिफ को बेअसर करने के लिए पीएम मोदी के दिशा-निर्देशन में सरकार ने अहम कदम उठाए हैं। वाणिज्य मंत्रालय ने करीब 25,000 करोड़ रुपए का एक्सपोर्ट प्रमोशन स्कीम तैयार किए हैं। इसके लागू होने के बाद हाई यूएस टैरिफ से पैदा हुई अनिश्चितताओं का पुरजोर मुकाबला किया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री मोदी किसी भी सूरत में ट्रंप टैरिफ के आगे झुकने वाले नहीं है। आपदा को अवसरों में बदलना उनकी नीति रही है। एक बार फिर वह इसी रणनीति को आगे बढ़ा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, देश में जल्द ही ई-कॉमर्स एक्सपोर्ट हब की शुरुआत हो सकती है, ताकि निर्यात को ज्यादा से ज्यादा प्रोत्साहन मिल सके। मोदी सरकार विदेशी निवेश को लेकर चीन के प्रस्ताव पर केस-टू-केस आधार पर विचार कर सकती है। पिछले कुछ वर्षों से चीन के निवेश प्रस्ताव की मंजूरी के लिए काफी कठिन नियम लागू है।
वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए भारत सरकार सक्रिय हो गई है। बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने 25,000 करोड़ रुपये की एक समर्थन योजना तैयार की है, जो छह साल की अवधि में लागू होगी। वहीं निर्यातकों का मानना है कि सरकार को जल्द से जल्द ठोस कदम उठाएगी, ताकि अमेरिकी टैरिफ के असर को कम किया जा सके और भारत के निर्यात को सुरक्षित रखा जा सके।

 

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