गंगटोक। पूर्वी सिक्किम में भारत की स्वतंत्रता के 79वें वर्षगांठ के उपलक्ष्य में पूर्वी सिक्किम की हिमालयी वादियों में देशभक्ति का अद्भुत दृश्य देखने को मिला। बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (बीआरओ) के प्रोजेक्ट स्वस्तिक के अंतर्गत एक भव्य तिरंगा रैली का आयोजन किया गया, जिसमें बीआरओ के जांबाज जवानों ने स्थानीय नागरिकों के साथ मिलकर राष्ट्रीय ध्वज के साथ दुर्गम पर्वतीय रास्तों पर मार्च किया। यह रैली नाथुला दर्रा, बाबा हरभजन सिंह मंदिर और सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण डोकलाम क्षेत्र से होकर गुजरी। इन स्थलों का भारतीय सैन्य गौरव और राष्ट्रीय भावना में विशेष स्थान है। भीषण बारिश और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद, प्रतिभागियों का उत्साह देखते ही बनता था।
इस वर्ष रैली की विशेषता यह रही कि यह पदमचेन जैसे सुदूरवर्ती गांवों तक पहुंची, जो भारत-चीन-भूटान त्रि-जंक्शन के निकट स्थित हैं। इससे न केवल तिरंगे का गौरव उन इलाकों तक पहुंचा जहां आमतौर पर राष्ट्रीय आयोजनों की गूंज कम सुनाई देती है, बल्कि स्थानीय निवासियों से भावनात्मक जुड़ाव भी सशक्त हुआ। रैली के दौरान जब बादलों से घिरी पर्वतमालाओं की छाया में ग्रामीणों ने हाथों में तिरंगा लेकर बीआरओ के जवानों के साथ कदम से कदम मिलाया, तो वह क्षण राष्ट्रीय एकता और समर्पण का जीवंत उदाहरण बन गया।
कई ग्रामीणों ने कहा कि यह आयोजन उनके लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बना। प्रोजेक्ट स्वस्तिक वर्षों से पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में सडक़ों और संपर्क मार्गों के निर्माण व रख-रखाव में जुटा है। इस आयोजन ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि बीआरओ न केवल सीमाओं को जोड़ता है, बल्कि समुदायों को सशक्त करने और राष्ट्रभक्ति की भावना को प्रज्वलित करने में भी अग्रणी भूमिका निभाता है।