कोलकाता, 18 जुलाई (हि.स.)। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 2014 में पत्नी की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए सुरोजीत देब और हत्या में सहयोग के आरोपित लिपिका पोद्दार व संजय विश्वास की मौत की सजा रद्द कर दी है। न्यायमूर्ति देबांग्सु बसाक और न्यायमूर्ति मोहम्मद शब्बार राशिदी की खंडपीठ ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को संदेह से परे प्रमाणित करने में असफल रहा है, इसलिए तीनों को बरी किया जाता है।
इससे पूर्व सियालदह सेशंस कोर्ट ने तीनों को दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी।
यह मामला 20 मई 2014 का है, जब कोलकाता के सियालदह रेलवे स्टेशन की कार पार्किंग से एक महिला के शरीर के कटे हुए हिस्से बरामद हुए थे। बाद में शव की पहचान जयंती देब के रूप में हुई, जो आरोपी सुरोजीत देब की पत्नी थीं। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि सुरोजीत, अपनी मित्र लिपिका पोद्दार के साथ मिलकर पत्नी की हत्या की साजिश में शामिल था, और हत्या के बाद शव को ठिकाने लगाने में संजय विश्वास ने मदद की थी।
बचाव पक्ष की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि घटना स्थल से इन तीनों की मौजूदगी का कोई ठोस प्रमाण नहीं है। उन्होंने कहा कि शव वाली लगेज किसने पार्किंग में छोड़ी, इसका कोई स्पष्ट सबूत रिकॉर्ड में नहीं है। इस आधार पर तीनों को हत्या से जोड़ना संभव नहीं है।
राज्य सरकार के अधिवक्ता ने 2019 में सियालदह अदालत द्वारा सुनाई गई दोषसिद्धि और सजा को सही ठहराते हुए हाई कोर्ट से उस निर्णय को बरकरार रखने की अपील की थी।
हालांकि, हाई कोर्ट ने सभी साक्ष्यों की गहन समीक्षा के बाद पाया कि अभियोजन पक्ष आरोपों को पुष्ट करने में असफल रहा है और संदेह का लाभ देते हुए तीनों आरोपियों को बरी करना न्यायसंगत होगा।