Wednesday, August 27, 2025
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ई-श्रम पोर्टल में जलपाईगुड़ी के केवल 17,000 चाय श्रमिकों के ही नाम दर्ज

गिने चुने श्रमिकों को ही मिल रहा केंद्रीय योजनाओं का लाभ
सांसद ने केंद्रीय मंत्री से चाय बागानों में विशेष शिविर लगाने का किया आग्रह
जलपाईगुड़ी (निज संवाददाता)। जलपाईगुड़ी जिले में चाय उद्योग में एक लाख से अधिक चाय श्रमिक काम करते हैं, लेकिन केंद्र सरकार के ई-श्रम पोर्टल में अब तक केवल 17,000 चाय श्रमिकों के ही नाम दर्ज हुए है। यह आंकड़ा सोमवार, 28 जुलाई को लोकसभा में जलपाईगुड़ी के सांसद डॉ. जयन्त राय के ई-श्रम संबंधी प्रश्न के जवाब में केंद्रीय श्रम राज्यमंत्री शोभा करंदलाजे ने प्रस्तुत किया।
इस आंकड़े से केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय की बुनियादी ढांचे की स्थिति और चाय श्रमिकों को केंद्र की योजनाओं का लाभ दिलाने में विफलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार ई-श्रम पोर्टल के नाम पर चाय श्रमिकों के साथ धोखा कर रही है, जबकि भाजपा ने इसके लिए राज्य श्रम विभाग की असहयोगिता को जिक्वमेदार ठहराया है।
ई-श्रम पोर्टल में पंजीकृत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए केंद्र सरकार की कई योजनाएं हैं, लेकिन जलपाईगुड़ी जिले के चाय श्रमिकों को उनमें से बहुत कम का लाभ मिला है। केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने जलपाईगुड़ी के सांसद को जो लिखित जानकारी दी है, उसमें यह चिंताजनक स्थिति उजागर हुई है।
इस रिपोर्ट के अनुसार, जिले के चाय बागानों से केवल 17,337 श्रमिकों का नाम ई-श्रम पोर्टल पर दर्ज है। इनमें से 13,695 के पास राशन कार्ड है, 4,896 को 100 दिन का काम मिला, 1,597 प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के लाभार्थी हैं, 5,373 प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना से जुड़े हैं, राष्टï्रीय पारिवारिक लाभ योजना में केवल 3 लोगों को लाभ मिला है। वहीं इंदिरा गांधी विधवा पेंशन के 57 लाभार्थी, प्रधानमंत्री आवास (ग्रामीण) के 7 लाभार्थी, प्रधानमंत्री आवास योजना के 32 लाभार्थी व प्रधानमंत्री किसान सक्वमान निधि के 39 लाभार्थी है। वहीं प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना का लाभ केवल 7 महिलाओं को मिला है। हालांकि प्रधानमंत्री मानधन पेंशन योजना, जिसमें चाय बागानों के 18 से 40 वर्ष के महिला और पुरुषों को 3,000 मासिक पेंशन मिलनी चाहिए, का कहीं कोई उल्लेख नहीं है।
जलपाईगुड़ी जिले में लगभग 90 बड़े चाय बागान हैं और स्थायी-अस्थायी मिलाकर करीब 1.2 लाख चाय श्रमिक हैं। ऐसे में केवल 17,337 श्रमिकों का पंजीकरण क्यों हुआ, यह बड़ा सवाल बन गया है। ई-श्रम पोर्टल में नाम दर्ज कराने की जिक्वमेदारी केंद्रीय श्रम मंत्रालय की है, लेकिन उत्तरबंगाल में मंत्रालय का कोई कार्यालय नहीं है। केवल सिलीगुड़ी में लेबर एनफोर्समेंट डिवीजन कार्यरत है, जो समय-समय पर ई-श्रम योजनाओं का प्रचार करती रहती है।
लेबर एनफोर्समेंट डिपार्टमेंट के अधिकारी समर विजय दास ने बताया कि हमने एक समय चाय बागानों में अभियान चलाकर प्रचार चलाया था कि किस प्रकार ई श्रम पोर्टल में नाम चढ़ाया जा सकता है। आधार कार्ड और बैंक खाता के जरिए कॉमन सर्विस सेंटर में जाकर श्रमिक ई-श्रम पोर्टल में अपना पंजीकरण कराना होगा और केंद्र की योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं। तृणमूल चाय श्रमिक यूनियन के केंद्रीय समिति अध्यक्ष नकुल सोनार ने कहा कि केंद्र सरकार योजनाएं तो खूब घोषित करती है, लेकिन ज़मीन पर श्रमिकों को कुछ नहीं मिलता। जिन्हें एटीएम से पैसे निकालना भी नहीं आता, वे कहां जानेंगे कि कॉमन सर्विस सेंटर कहां है। ये सब केंद्र की नौटंकी है।
वहीं भाजपा के जिला अध्यक्ष श्यामल राय ने कहा कि इस संबंध में राज्य का श्रम विभाग सहयोग नहीं कर रहा है, जिससे बड़ी संक्चया में चाय श्रमिक योजनाओं से वंचित हो रहे हैं। जिस तरह राज्य स्वास्थ्य विभाग आयुष्मान भारत योजना में सहयोग नहीं कर रही, वैसा ही रवैया इस संबंध में श्रम विभाग का है। हालांकि जिले के उप-श्रम अधिकारी शुभागत गुप्त ने कहा कि ई-श्रम पोर्टल पूरी तरह केंद्र सरकार के अधीन है और इसमें राज्य को कुछ भी करने को नहीं है।
तृणमूल जिला अध्यक्ष महुआ गोप ने कहा कि राज्य श्रम विभाग ने चाय श्रमिकों और प्रवासी मजदूरों के लिए ‘कर्मसाथी पोर्टलÓ शुरू किया है और चाय बागानों में जाकर श्रमिकों का नाम दर्ज कर रहा है। असल में केंद्र सरकार की योजनाएं सिर्फ घोषणाओं तक ही सीमित हैं। ई-श्रम पोर्टल के जरिए कौन-कौन सी योजनाओं का लाभ मिलेगा, इसको लेकर चाय श्रमिकों के बीच कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। सिर्फ पंजीकरण से कुछ नहीं होगा, बल्कि कैसे योजना का आवेदन करना है, यह समझाना जरूरी है। अब भाजपा के भीतर भी यह सवाल उठने लगा है कि केवल पोर्टल शुरू करने से कुछ नहीं होगा।
सांसद डॉ. जयन्त राय ने कहा कि मैंने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया है कि मंत्रालय के अधिकारियों को चाय बागानों में भेजकर विशेष शिविर लगाकर ज्यादा से ज्यादा श्रमिकों का नाम ई-श्रम पोर्टल में दर्ज किया जाए। साथ ही उन्हें केंद्र की योजनाओं के लाभ के बारे में जानकारी भी दी जाए।

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