मालदा। जैसी आशंका पहले जताई गई थी, वही सच हुआ। गंगा के जलस्तर के तेजी से गिरने के साथ ही मालदा जिले के मानिकचक के भूतनि इलाके में साढ़े पांच करोड़ रुपये की लागत से हाल ही में बने रिंग बांध का बड़ा हिस्सा नदी में समा गया। इससे इलाके में दहशत फैल गई है। बांध के आसपास के कई लोग अपने घर छोडक़र सुरक्षित जगह चले गए हैं। कुछ लोग जो बाढ़ के समय बांध पर शरण लिए हुए थे, वे भी वहां से भाग गए हैं। कटाव रोकने और क्षतिग्रस्त बांध की मरक्वमत के लिए सिंचाई विभाग युद्धस्तर पर काम कर रहा है। लेकिन इतनी भारी लागत से बने नए बांध के टूटने पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
जिलाशासक ने कहा है कि प्रशासन हर समय प्रभावित लोगों के साथ खड़ा है और हालात पर कड़ी नजर रखी जा रही है। शुक्रवार दोपहर 12 बजे मानिकचक घाट पर गंगा का जलस्तर 24.56 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान (24.69 मीटर) से 13 सेंटीमीटर नीचे था। इसी तरह फूलहर नदी का जलस्तर 26.52 मीटर और महानंदा का जलस्तर 20.10 मीटर रहा। खतरे के स्तर से नीचे होने के बावजूद तेज़ी से घटता जलस्तर कटाव को और अधिक खतरनाक बना रहा है। स्थानीय निवासियों का अनुभव है कि आम तौर पर गंगा और फूलहर नदियों में जल बढऩे के समय कटाव शुरू होता है, लेकिन जल घटने के समय कटाव और भी ज्यादा तेज हो जाता है। इस बार भी वही हुआ। इस वजह से भूतनि समेत कई इलाके बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। पिछले दिनों कटाव और बाढ़ में भूतनि चर के लाखों लोग बेघर हो गए और 2 लोगों की मौत भी हो चुकी है।
फिलहाल गंगा का जलस्तर कम होने से सिंचाई विभाग ने मरक्वमत कार्य शुरू कर दिया है। उत्तर चंडीपुर ग्राम पंचायत के केशरपुर और कालुटोनटोला गांव में क्षतिग्रस्त रिंग बांध की मरक्वमत की जा रही है। इंजीनियर और ठेकेदार बोरियों में रेत भरकर गंगा के बहाव को रोकने की कोशिश कर रहे हैं। मानिकचक की विधायक साबित्री मित्र ने कार्य की गुणवत्ता पर असंतोष जताते हुए कहा, कटाव रोकने के काम में कोई समझौता नहीं होगा। काम तेज़ी से और सही तरीके से करना होगा। अगर कहीं से भी घटिया काम की शिकायत मिली तो मैं सीधे मुक्चयमंत्री को लिखित में इसकी जानकारी दूँगी। मानिकचक के लोगों को कटाव के आतंक से बचाना ही होगा। बाढ़ में घर खो चुके केदार मंडल इस समय परिवार सहित केशरपुर बांध पर शरण लिए हुए हैं। उन्होंने कहा, गंगा जिस तरह किनारा काट रही है, उससे हम बहुत डरे हुए हैं। पिछले 24 घंटे में ही नए रिंग बांध के कम से कम तीन हिस्से टूट चुके हैं। अब नदी बांध से सटकर बह रही है। घरों में पानी भर जाने के कारण हम बांध पर शरण लिए हुए हैं, लेकिन यहां भी शांति नहीं है। जिस तेजी से गंगा कटाव कर रही है, उससे यह बांध भी डूब सकता है। हमारे पास कहीं और जाने की जगह नहीं है।
इस बीच, सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता ने फोन नहीं उठाया, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो सका कि महज पांच महीने पहले बने इस महंगे बांध को इतनी जल्दी नुकसान क्यों हुआ। जिलाशासक नितिन सिंहानिया ने बताया कि इस बार जिले के तीन ब्लॉक, कालियाचक-3, मानिकचक और रतुआ-1 सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। कुल 62 गांव बाढ़ और कटाव से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। तेजी से घटते जलस्तर ने कटाव को और भी भयावह बना दिया है।