पूरे देश में गणेश चतुर्थी त्योंहार मनाया जा रहा है। आनेवाले कुछ दिनों तक गणपति बप्पा घर-घर में विराजेंगे। किसी भी शुभ काम से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है। भगवान गणेश हमें जिंदगी के हर पहलू पर एक नई सीख देते हैं। भगवान गणेश हिंदू धर्म में सबसे अधिक पूजे जाने वाले देवताओं में से एक हैं। गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में भी जाना जाता है। इसका मतलब है कि वो सारी बाधाओं को दूर करने वाले हैं।
बुद्धि और ज्ञान के देवता भगवान गणेश से कई सीख ली जा सकती हैं। देखने में भले ही श्रीगणेश का स्वरूप विचित्र लगे, लेकिन गणेशजी के इन सभी अंगों में बिजनेस एवं जीवन जीने से जुड़े खास सूत्र छिपे हैं, जरूरत है तो उन्हें समझने की। श्रीगणेश से जुड़े बिजनेस मैनेजमेंट के इन सूत्रों को आजमाकर आप अपने बिजनेस को सफल बना सकते हैं।
प्राण जाये पर माँ की आज्ञा न टले : गणेशजी के जीवन से जुड़ी सबसे पहली कथा माँ पार्वती द्वारा उनका सृजन ही है। कथा के अनुसार एकबार माता पार्वती को स्नान के लिए जाना था। लेकिन उनके द्वार पर पहरा देने के लिए कोई नहीं था। माँ पार्वती ने अपने तन के पसीने से एक बच्चे की रचना की। वे भगवान गणपति थे। जब माँ पार्वती स्नान के लिए जाने लगी तो भगवान गणेश को द्वार का रक्षक बनाकर खड़ा कर दिया। उन्होंने बाल गणेश को आज्ञा दी कि किसी को भी अंदर प्रवेश न करने दें। कुछ ही क्षणों में वहां भगवान शिव उपस्थित हुए जिन्हे गणेश ने अंदर जाने कि अनुमति नहीं दी। अपनी अवमानना से क्रोधित होकर भगवान शिव ने शस्त्र से गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। जब माँ पार्वती वहां पहुंची तो पुत्र गणेश का धरती पर कटा धड़ देखकर क्रोध में आ गयी। उन्होंने शिव से कहा कि वे गणेश को पुन: जीवित करे, तब भगवान शिव बहुत पछताए एवं जीवित हाथी का सर काटकर लगाया एवं गणेश को वापस जिन्दा किये।
एक अच्छा श्रोता होना : भगवान गणेश हमेशा एक संदेश देते हैं कि आपको एक अच्छा श्रोता बनना चाहिए। बोलने से ज्यादा सुनना चाहिए। हमेशा कहा जाता है कि किसी भी स्थिति को संभालने के लिए एक अच्छा श्रोता होना बेहद जरूरी है। आपको हमेशा पहले सुनना चाहिए, फिर बोलना चाहिए। गणेश जी के हाथी के कान से ये संदेश लिया जा सकता है कि एक अच्छा श्रोता होना कितना महत्वपूर्ण है।
गणेशजी के बड़े कान : बड़े कान हमें बताते हैं कि बिजनेस में हमेशा सजग रहना चाहिए। बड़े कान यह बताते है कि सुनना अधिक है और बोलना कम है। हमारा सूचना तंत्र इतना मजबूत होना चाहिए कि बिजनेस को प्रभावित करने वाली हर बात हमें तुरंत पता होनी चाहिए ताकि हम समय पर रणनीति बना सकें।
गणेशजी का बड़ा सिर : गणेशजी का बड़ा सिर हमें बताता है कि बिजनेस में बड़ी सोच रखना जरूरी है। हमें इसी सोच के साथ ही आगे बढऩा चाहिए। जब हमारे पास बड़ा टारगेट और एक पुक्चता प्लान होगा तो निश्चित रूप में हम अपने बिजनेस को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सफल होंगे।
संतुलन बनाए रखें : जीवन में संतुलन बनाए रखना काफी जरूरी है। घर हो या काम या मौज-मस्ती, खेल और जीवन में हमेशा संतुलन बनाकर रखना चाहिए। अगर आपने गणेश मूर्ति को ध्यान से देखा है, तो आपने देखा होगा कि भगवान गणेश का एक पैर जमीन पर टिका हुआ है और दूसरा मुड़ा हुआ है। ये हमें जीवन में संतुलन का महत्व सिखाता है।
सबका सम्मान करें : भगवान गणेश हमें हमेशा सबका सम्मान करना और सबके प्रति विनम्र रहना सिखाते हैं। गणेश हमेशा हमें सिखाते हैं कि कोई भी असमान नहीं है और सभी के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाना चाहिए जैसा आप चाहते हैं कि वे आपके साथ करें। हम सभी जानते हैं कि गणेश जी का वाहन चूहा है, इससे हमें नम्रता और छोटे से छोटे जीव का भी सम्मान करने की सिख मिलती है।
अपने ज्ञान और शक्ति का बुद्धिमानी से इस्तेमाल करें : आपके पास कितना भी ज्ञान या शक्ति क्यों न हो, आपको इसका गलत तरीके से इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। इसके बजाए समाज के कल्याण के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। आपका ज्ञान और शक्ति आपका सबसे शक्तिशाली हथियार है। इसलिए आपको इसका बुद्धिमानी से इस्तेमाल करना चाहिए ताकि खुद को या दूसरों को नुकसान न पहुंचे। गणेश जी ने इतनी सारी बातें जानने के बावजूद कभी भी अपनी ज्ञान और शक्ति का दुरुपयोग नहीं किया।
अपनी खामियों को स्वीकार करें : कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं होता है और प्रत्येक की अपनी-अपनी खामियां होती हैं। आपको इन खामियों को अपने पूरे दिल से स्वीकार करना चाहिए। आपको अपनी खामियों को अपनी कमजोरी नहीं समझना चाहिए, बल्कि इन्हें अपनी ताकत समझकर इसे अपनाना चाहिए।
गणेशजी की छोटी आंखें : छोटी आंखें हमें बताती हैं कि बिजनेस में हमें सदैव अपना लक्ष्य निर्धारित रख कर आगे बढऩा चाहिए। छोटी आंख वाले सभी जीवों की नजर बहुत तेज होती है और उनका ध्यान पूरी तरह अपने लक्ष्य पर ही होता है।
श्रीगणेश का बड़ा पेट : बिजनेस में लाभ-हानि होती रहती है। कभी-कभी हानि का अनुपात ज्यादा हो जाता है। ऐसी स्थिति में गणेशजी का बड़ा पेट हमें सीखाता है कि हमारे अंदर हानि पचाने की भी पूर्ण क्षमता होनी चाहिए।
गणेश जी की सूंड : जैसे हाथी की सूंड बड़ी होती है, उसी तरह हमारे बिजनेस संपर्क भी दूर-दूर तक होना चाहिए ताकि उनका लाभ भी हमें मिलता रहे। सूंड की पकड़ भी मजबूत होती है, उसी तरह कर्मचारियों पर भी हमारी पकड़ मजबूत रहे।
माता पिता ही भगवान हैं : भगवान गणेश की एक पौराणिक कथा है, जो हमें सिखातें है संसार में माता पिता ही भगवततुल्य है। कथा के अनुसार माता पार्वती एवं भगवान शंकर ने अपने दोनों पुत्रों कार्तिकेय एवं गणेश की परीक्षा लेने का निर्णय लिया। दोनों ने अपने पुत्रों को समस्त ब्रह्माण्ड के तीन चक्कर लगाने को कहा। साथ ही विजेता को पुरष्कृत करने की घोषणा की। यह सुनकर कार्तिकेय अपने वाहन मोर पर बैठकर दुनिया का भ्रमण करने निकल गए। वहीं भगवान गणेश ने अपने विवेक और स्नेह के वशीभूत होकर अपने माता पिता के ही चारों और चक्कर लगाने शुरू के दिए, तब उसे माता पिता ने पूछा कि आप क्यों कार्तिकेय के साथ चक्कर लगाने नहीं गए, तब उन्होंने कहा मेरा ब्रह्माण्ड आप दोनों ही हैं।
कभी न मानें हार : गणेश जी के टूटे हुए दांत की भी काफी दिलचस्प कहानी है। गणेश जी को महाभारत की कथा लिखनी थी जिसमें करीब अठारह लाख शब्द और हजारों कहानियां और उप-कहानियां थीं। इस ग्रंथ को लिखने के लिए महान ऋषि वेदव्यास एवं गणेश जी में समझौता हुआ था की व्यासजी इसे बिना रुके सुनाएंगे एवं गणेश भी बिना रुके लिखेंगे। व्यास जी कथा बोल रहे थे और गणेश जी की अचानक कलम टूट गई। चूंकि, गणेश जी ने वादा किया था कि वो रूकेंगे नहीं, इसलिए उन्होंने अपना दांत तोड़ा और उससे लिखने लगे। हमें इससे एक सीख ये मिलती है कि हमें कोई भी काम अधूरा नहीं छोडऩा चाहिए. तभी हम अपने जीवन में सुखी रहेंगे।
अशोक अग्रवाल
चिंतक व लेखक
सिलीगुड़ी : 9434045738
गणेशजी के मनमोहक रूप से हमें क्या शिक्षा मिलती है ?
