ऑनलाइन गेम्स से पनप रहे जानलेवा खतरों को लेकर काफी पहले से ही चिंता जताने के साथ ही अंकुश लगाने की मांग की जा रही थी, क्योंकि इससे न सिर्फ लोग बर्बाद हो रहे थे, बल्कि बच्चों से लेकर युवाओं तक में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोîारी देखने को मिल रही थी। इसलिए भारत सरकार द्वारा ऑनलाइन मनी गेमिंग पर प्रतिबंध लगाना दूरदर्शी, साहसिक, ऐतिहासिक होने के साथ ही जनहितैषी भी है। ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक, 2025 राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब कानून का रूप ले चुका है। अब केवल इसके लागू होने की औपचारिक घोषणा बाकी है। यह निर्णय केवल एक कानूनी पहल भर नहीं है, बल्कि यह भारतीय समाज, परिवारों और युवाओं को एक गहरी सामाजिक व मानसिक संकट से उबारने का प्रयास है। पिछले कुछ वर्षों में ऑनलाइन मनी गेम्स ने भारतीय समाज में गहरी पैठ बनाई। तेज इंटरनेट और स्मार्टफोन की उपलब्धता ने युवाओं को इस ओर आकर्षित किया। मनोरंजन और शौक के नाम पर शुरू हुआ यह खेल धीरे-धीरे जुए का रूप लेने लगा। नतीजा यह हुआ कि लाखों परिवार बर्बादी के कगार पर पहुंच गए। आंकड़ों के अनुसार लगभग 45 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में इन खेलों के शिकार हो चुके हैं और करीब 20,000 करोड़ रुपये इस लत में डूब चुके हैं। कई परिवारों की जमापूंजी समाप्त हो गई, कर्ज बढ़ गए और मानसिक तनाव इतना गहरा हुआ कि कई युवाओं को आत्महत्या तक करनी पड़ी। यह केवल व्यक्तिगत नुकसान नहीं है, बल्कि समाज की स्थिरता और मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी खतरनाक है। इसलिए सरकार का भी मानना है कि ऑनलाइन मनी गेमिंग एक सामाजिक और जन स्वास्थ्य के लिये घातक समस्या है। सरकार के मुताबिक, वह ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेमिंग को बढ़ावा देने के लिये उत्सुक है, जिसमें कोई वित्तीय जोखिम न हो। निर्विवाद रूप से हाल के वर्षों में ऑनलाइन स्किल गेमिंग उद्योग ने तेजी से विस्तार किया है। जिसमें पूर्व और वर्तमान क्रिकेटरों और फिल्मी सितारों के प्रचार की भी भूमिका रही है। यहां उल्लेखनीय है कि ऑनलाइन गेमिंग का वार्षिक राजस्व 31,000 करोड़ रुपये से अधिक है। इसके साथ ही यह हर साल प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों के रूप में बीस हजार करोड़ रुपये से अधिक का योगदान देता है। लेकिन इसके साथ चिंता का विषय यह भी है कि सुनहरे सब्जबाग दिखाने वाले कई ऑनलाइन गेमिंग एप लत, खेलने वाले आम लोगों के आर्थिक नुकसान और मनी लॉन्ड्रिंग को भी बढ़ावा देते हैं। यही वजह है कि ऑनलाइन गेमिंग में अपनी जमा पूंजी लुटाने वाले बदकिस्मत उपयोगकर्ता नाकामी के बाद आत्महत्या तक करने को मजबूर हो जाते हैं। निस्संदेह सरकार ने ऑनलाइन मनी गेमिंग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाकर एक बड़ा जोखिम भी उठाया है। इसमें सरकार को राजस्व की भारी हानि भी हो सकती है। वहीं दूसरी ओर जानकारों का कहना है कि इस बिल से करीब 2 लाख करोड़ रुपए के सेक्टर को काफी नुकसान हो सकता है। करीब 400 कंपनियां बंद हो सकती है और साथ ही 2 लाख से ज्यादा लोगों की नौकरी भी जाने का खतरा है। लेकिन इस पर प्रतिबंध लगाना जरूरी था, ञ्चयोंकि ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग’ यानी धन आधारित ऑनलाइन खेल युवा वर्ग को एक ऐसी अंधेरी खाई की ओर ले जा रहा था, जिससे निकलना उनके लिए आसान नहीं था। यही वजह है कि इसे लेकर पिछले काफी समय से चिंता जताई जा रही है, लेकिन सरकार ने इस पर लगाम लगाने या इसे विनियमित करने के बजाय इसके दूरगामी असर की अनदेखी की। मगर जब पानी सर से ऊपर बहने लगा और इसके नतीजे खुल कर सबके सामने आने लगे, तो सरकार को नींद खुली। अब जाकर खुद सरकार ने भी माना है कि ‘ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग’ समाज के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है और इस पर लगाम लगाना वक्त की जरूरत है। इस पर काफी पहले ही प्रतिबंध लग जाना चाहिए था, लेकिन देर आए दुरुस्त आए के तौर पर सरकार का फैसला सराहनीय है। ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक के अनुसार कानून का उल्लंघन करके ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाएं प्रदान करने वाले किसी भी व्यक्ति को तीन साल तक की कैद या 1 करोड़ तक का जुर्माना, या दोनों हो सकते है। ऐसी सेवाओं का विज्ञापन करने वालों को दो साल तक की जेल और/या 50 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। मनी गेम्स के लिए ट्रांजेक्शन की सुविधा प्रदान करने वाले बैंक और वित्तीय संस्थान भी तीन साल तक की जेल या 1 करोड़ रुपए के जुर्माने सहित दंड के पात्र होंगे। बार-बार अपराध करने पर कड़ी सजा का प्रावधान है, जिसमें तीन से पांच साल की जेल और ज्यादा जुर्माना शामिल है। हालांकि, बिल ऑनलाइन मनी गेम्स खेलने वालों को अपराधी नहीं मानता, बल्कि उन्हें अपराधी के बजाय पीडि़त मानता है। प्रस्तावित कानून में एक रेगुलेटरी अथॉरिटी की स्थापना का भी प्रावधान किया गया है, जिसके पास यह पॉवर होगी कि कोई गेम ऑनलाइन मनी गेम की कैटेगिरी में आता है या नहीं। सभी प्लेटफॉर्म को अथॉरिटी द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार रजिस्ट्रेशन कराना होगा। साथ अथॉरिटी की गाइडलाइंस को फॉलो करना होगा। बिल ने ऑनलाइन मनी गेम को ऐसे गेम के रूप में परिभाषित किया है कि जिसे यूजर्स शुल्क देकर, पैसा या अन्य दांव लगाकर जीतने की उम्मीद में खेलता है। चाहे वह गेम स्किल्ड, संयोग या दोनों पर आधारित हो। इस कानून का उद्देश्य इस क्षेत्र में फ्रैगमेंटिड रेगुलेशन को दूर करना और जुए, फाइनेंशियन एक्सप्लाएटेशन, मेंटल हेल्थ रिस्क और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी अवैध गतिविधियों से जुड़ी चिंताओं से निपटना है। इस कानून का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि लाखों लोग, विशेषकर युवा पीढ़ी, बर्बादी से बच सकेंगे। सरकार के इस कदम से आत्महत्याओं की संख्या में कमी आने की संभावना है। परिवारों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी और समाज में संतुलन कायम रहेगा। इस कानून से सबसे बड़ा सामाजिक असर यह होगा कि परिवार सुरक्षित महसूस करेंगे। माता-पिता अब यह चिंता नहीं करेंगे कि उनका बच्चा गेमिंग के नाम पर जुए में फंस जाएगा। समाज में आर्थिक अपराधों और धोखाधड़ी के मामलों में कमी आएगी। इसके साथ ही यह कानून एक संदेश भी देगा कि सरकार केवल आर्थिक विकास पर ही नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि ऑनलाइन मनी गेमिंग पर प्रतिबंध सरकार का दूरदर्शी और साहसिक कदम है। यह कानून लाखों युवाओं को बर्बादी के दलदल से बाहर निकालेगा और परिवारों को सुरक्षा देगा। साथ ही यह भारत को ई-स्पोर्ट्स और गेम डेवलपमेंट के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएगा। आज आवश्यकता है कि समाज भी इस पहल का स्वागत करे और युवाओं को सही दिशा दिखाने में सरकार का साथ दे। तकनीक और रचनात्मकता का उपयोग यदि सकारात्मक मार्ग पर हो, तो भारत निश्चित ही डिजिटल युग में एक नई पहचान बना सकता है।