मदारीहाट (संवाददाता)। अपने प्राकृतिक सौंदर्य, जैव विविधिता एवं एक सिंग वाले गैंडे समेत अन्य जीव जंतुओं के लिए प्रसिद्ध जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान ने अब स्थानीय रोजगार सृजन में भी एक मिसाल कायम की है। इस राष्ट्रीय उद्यान ने इस वर्ष जनवरी से अगस्त तक के 8 महीनों में 1 लाख 5 हजार कार्यदिवस सृजित किए हैं जिनसे उद्यान से सटे कालचीनी, फालकाटा, मदारीहाट-बीरपाड़ा और अलीपुरद्वार-1 ब्लॉकों के हजारों श्रमिकों को रोजगार मिला है।
जानकारी के अनुसार, जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान प्रबंधन द्वारा उद्यान में शाकाहारी जानवरों के भोजन के लिए बड़ी मात्रा में घास की खेती करते हैं। इसी खेती में यह बड़ा रोजगार सृजित हुआ है जिसका 70 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं द्वारा किया गया है।
जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान के एडीएफओ नबी कांत झा ने कहा, हमने राष्ट्रीय उद्यान में शाकाहारी जानवरों के भोजन के लिए 300 हेक्टेयर भूमि पर घास की खेती की है। इस खेती के लिए, हमने उद्यान से सटे चार ब्लॉकों से बड़ी संक्चया में महिला श्रमिकों को काम पर रखा है। वहीं, महिलाएं भी काम पाकर खुश हैं। जलदापाड़ा वन बस्ती की निवासी ज्योत्सना बर्मन ने कहा, हमने लगभग छह महीने जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान में काम किया है। वन विभाग के इस काम से हमारे परिवार को सुकून मिला है। हम बहुत खुश हैं।
वहीं, इस संबंध में अलीपुरद्वार नेचर क्लब के सचिव त्रिदिवेश तालुकदार ने कहा कि स्थानीय वन क्षेत्र विभिन्न प्रकार से रोजगार के अवसर पैदा करता है। यह रोजगार श्रमिकों के श्रम और पर्यटन से उत्पन्न होता है। ऐसे में, जलदापाड़ा राष्ट्रीय उद्यान की इस पहल की सराहना की जानी चाहिए। अगर सभी मिलकर जंगल की रक्षा करेंगे, तो जंगल हमारी रक्षा करेंगे।
वन अधिकारियों के अनुसार, वन विभाग ने हमेशा इस वन क्षेत्र में घास के मैदानों के संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया है। हाल ही में, वन क्षेत्र से बाहर आने वाले हाथियों और गैंडों की संक्चया में वृद्धि हुई है। ऐसे में मुक्चयमंत्री के निर्देश पर इस राष्ट्रीय उद्यान में घास के मैदान बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है।