79वें स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले पर लगातार 12वीं बार तिरंगा फहराया। इस दौरान उन्होंने 106 मिनट का भाषण दिया। यह अब तक के किसी भी प्रधानमंत्री का लाल किले से दिया गया सबसे लंबा भाषण है। लाल किले पर भाषण देकर मोदी ने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ा है। उन्होंने 2015 में 88 मिनट का भाषण दिया था। तब उन्होंने पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू का रिकॉर्ड तोड़ा था। नेहरू ने 1947 में 72 मिनट का भाषण दिया था। सच है कि जिनके पास बात करने के लिए बहुत सारे मुद्दे होते हैं और जो इस मौके पर देश के सामने उन्हें रखना चाहते हैं, उनका भाषण लंबा होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कल लाल किले से जो भाषण दिया, वह ठीक वैसा ही था जैसा किसी ऐसे राष्ट्र के नेता को अपने स्वतंत्रता दिवस पर देना चाहिए जो अगले दो दशकों में विकासशील से विकसित राष्ट्र बनने के लिए प्रतिबद्ध है। ऊर्जा के बदलते स्रोत और आत्मरक्षा के लिए देश द्वारा अपनाई गई नीतियां उनके लंबे भाषण में प्रमुख रूप से उभरकर सामने आईं। बदलती तकनीक और वैश्विक अर्थव्यवस्था आज के सबसे अहम मुद्दे हैं। पूरी दुनिया एक अस्थिर दौर से गुजर रही है। यह अस्थिरता केवल हिंसक घटनाओं या युद्ध से ही नहीं, बल्कि आर्थिक बदलावों से भी है। नए युग में युद्ध अब रणभूमि के बजाय आर्थिक मोर्चों पर होंगे।
एक समय था जब दुनिया पर अंग्रेजों का नियंत्रण था। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद इंग्लैंड की अर्थव्यवस्था डगमगाई और अमेरिका नई आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा। अब अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी चुनौतियों का सामना कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि एशिया में शक्ति का संतुलन बदल रहा है। चीन को इस संदर्भ में देखा जा रहा है और भारत भी विश्व की तीसरी सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बनकर आगे बढ़ रहा है। आज दुनिया की तीन सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से दो एशिया में हैं। यदि चीन और भारत दोनों को आर्थिक महाशक्ति के रूप में गिना जाए तो दुनिया का भूगोल और आर्थिक ढांचा पूरी तरह बदल सकता है।
देश के प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी इस स्थिति में जो कहते हैं, उसे पूरी दुनिया देख रही थी। पाकिस्तान भारत का पारंपरिक दुश्मन है। पाकिस्तान का नेतृत्व वास्तव में सेना के हाथों में है। यही कारण है कि वहां की नीतियां राजनीतिक नेतृत्व की नीतियों से भिन्न होती हैं। यह भी तथ्य है कि पाकिस्तान को परमाणु हथियारों से लैस किया गया और बड़ी शक्तियों ने भारत को दबाव में रखने के लिए यह स्थिति बनाई। भारत ने इसके खिलाफ अपेक्षाकृत आक्रामक रुख अपनाया है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पाकिस्तान और भारत संबंधी नीतियां इस दौरान पूरी तरह उजागर हो गई थीं। पाकिस्तान को साधने और भारत को आर्थिक संकट में डालने की ट्रंप की रणनीति को मोदी ने अपने चिर-परिचित अंदाज़ में कड़े शब्दों में जवाब दिया।
भारत अब अमेरिका के आयात शुल्क और आर्थिक दादागिरी के आगे झुकने वाला नहीं है। यह स्पष्ट था कि कुछ क्षेत्रों पर असर होगा, लेकिन जब बात संप्रभुता की आती है तो भारत पीछे नहीं हटेगा। मोदी ने विकल्प तलाशने और आत्मनिर्भरता को मजबूत करने का संकल्प दोहराया।
भारत ने पहले भी हरित क्रांति, श्वेत क्रांति और नीली क्रांति से आत्मनिर्भरता की राह पकड़ी थी। अब आवश्यकता है तकनीकी आत्मनिर्भरता की, विशेषकर रक्षा उपकरण, उर्वरक, चिकित्सा और ऊर्जा के क्षेत्र में। मोदी ने भाषण में युवाओं के लिए यह बड़ा वादा किया कि भारत इन क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल करेगा।
भाषण का एक अहम हिस्सा था—आरएसएस का उल्लेख। प्रधानमंत्री ने पहली बार लाल किले से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 वर्ष पूरे होने का ज़िक्र करते हुए कहा कि यह संगठन दुनिया का सबसे बड़ा एनजीओ है, जिसने राष्ट्र निर्माण और अनुशासन के साथ सेवा की पहचान बनाई है।
इसके अलावा उन्होंने आपातकाल की भी चर्चा की और कहा कि देश की किसी भी पीढ़ी को संविधान का गला घोंटने वाले पापियों को नहीं भूलना चाहिए।
मोदी ने अपने भाषण में ‘पंच प्रण’ को भी दोहराया और 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि एकता हमारी सबसे बड़ी ताकत है और मां भारती के कल्याण के लिए परिश्रम ही पूजा है।
उन्होंने स्वास्थ्य पर भी चिंता जताई और कहा कि मोटापा देश के लिए बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। इसे रोकने के लिए उन्होंने परिवारों को तेल की खपत 10% कम करने का सुझाव दिया।
अंत में उन्होंने ‘सुदर्शन चक्र मिशन’ की घोषणा की। यह एक अत्याधुनिक रक्षात्मक-आक्रामक प्रणाली होगी जो दुश्मन के हमलों को विफल करने के साथ लक्षित जवाब देने में सक्षम होगी। यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से विकसित होगी।
– अशोक भाटिया,
वरिष्ठ स्वतंत्र पत्रकार, लेखक, समीक्षक एवं टिप्पणीकार
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