Sunday, November 16, 2025
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भाजपा-तृणमूल आमने-सामने : बंगाल में फिर गरमाई राष्ट्रपति शासन की बहस

दक्षिण 24 परगना। जिले के पाथरप्रतिमा में रविवार को आयोजित एक सभा के दौरान राज्य विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष और नंदीग्राम से भाजपा विधायक शुभेंदु अधिकारी की उपस्थिति में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग उठी। सभा में मौजूद भीड़ से कई लोगों ने एक स्वर में नारा लगाया, “राष्ट्रपति शासन चाहिए!” जब भीड़ में यह मांग उठी, शुभेंदु अधिकारी मंच पर माइक लेकर खड़े थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि जनता आवाज उठाइए। मेरे अधिकार होता, तो मैं एक घंटे के भीतर राष्ट्रपति शासन लागू कर देता। शुभेंदु अधिकारी के इस बयान पर तृणमूल कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ता तनमय घोष ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष होकर वे लोकतंत्र के अंत की बात कैसे कर सकते हैं? राष्ट्रपति शासन विशेष परिस्थितियों में लागू किया जाता है। कोई भी लोकतंत्र-प्रेमी व्यक्ति इस तरह की मांग नहीं करता। वे निराशा में ये बातें कर रहे हैं, क्योंकि भाजपा की सीटें घट रही हैं, और सत्ता में आने की संभावना खत्म हो चुकी है। इसी दिन पाथरप्रतिमा और कुलतली में शुभेंदु अधिकारी के काफिले को ‘गो बैक’ के नारे और काले झंडे का सामना करना पड़ा। आंदोलनकारियों का कहना था कि यह विरोध केंद्र सरकार की बंगाल के प्रति उपेक्षा के खिलाफ था। तृणमूल ने इस घटना को “जनता का आक्रोश” बताया।

दरअसल, यह पहली बार नहीं है जब सुवेंदु अधिकारी ने राष्ट्रपति शासन का मुद्दा उठाया हो। आरामबाग की एक सभा में भी उन्होंने कहा था, “नो एसआईआर, नो इलेक्शन। अगर राष्ट्रपति शासन लागू हो गया, तो तृणमूल कांग्रेस का अस्तित्व 24 घंटे में खत्म हो जाएगा। केवल माकपा कुछ हद तक बची रहेगी, लेकिन तृणमूल का नामोनिशान मिट जाएगा। हाल ही में राज्यपाल सी. वी. आनंद बोस ने भी अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन) को लेकर संकेतपूर्ण टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि बंगाल के लोग राज्य में राष्ट्रपति शासन चाहते हैं। इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई थी, अब शुभेंदु अधिकारी के ताज़ा बयान ने उस बहस को फिर हवा दे दी है।

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